एक बैट्समैन को एक फास्ट बोलर की बॉल खेलने के लिए तिहाई सेकंड का समय मिलता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बैट्समैन बारीकियों में जाए और बैटिंग की छोटी-छोटी टेक्निकल जरूरतों में पारंगत हो। क्रिकेट में आमतौर पर कहा जाता है कि यह टॉप हैंड गेम है, लेकिन माडर्न क्रिकेट को देखते हुए ऐसा कहना गलत होगा। बैटिंग अब वन हैंड नहीं बल्कि टू हैंड गेम बन चुका है। यानी बैट्समैन के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल जरूरी हो गया है। कुछ और बताने से पहले आपको यह बताना जरूरी है कि बैट्समैन के लिए दोनों हाथों की भूमिका आखिर क्या है? टॉप हैंड का काम है कि वह आपको बैक लिफ्ट दे। बैक लिफ्ट से बैट के बॉल से इंपैक्ट तक टॉप हैंड काम करता है। इंपैक्ट के समय से बॉटम हैंड का काम शुरू हो जाता है जो फॉलोथ्रू तक बना रहता है। ध्यान देने की बात यह है कि दोनों हाथों का मूवमेंट एक ही दिशा में होना चाहिए क्योंकि तभी हम दोनों हाथों के पूरे फोर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। होता यह है कि टॉप हैंड की दिशा पहले से तय हो जाती है। हमें खास ख्याल इस बात का रखना पड़ता है कि बॉटम हैंड टॉप हैंड की दिशा को ही फॉलो करे। बॉटम हैंड की मूवमेंट सेट करने में मुश्किल इसलिए भी आती है क्योंकि बीच में छाती आ जाती है। इसलिए इसकी ज्यादा-से-ज्यादा प्रैक्टिस करना जरूरी है। याद रहे, जिनका टॉप भी स्ट्रॉन्ग होता है, वे बहुत अच्छे स्ट्रोक प्लेयर होते हैं। मैथ्यू हैडन, गौतम गंभीर इसका उदाहरण हैं। दोनों ही बाएं हाथ के बैट्समैन हैं, लेकिन दोनों दाएं हाथ से थ्रो करते हैं। इसी तरह इंजमाम उल हक दाएं हाथ के बैट्समैन हैं और थ्रो बाएं हाथ से करते हैं। यानी आप भी दूसरे हाथ से थ्रो करने की प्रैक्टिस कर या दूसरे तरीकों से टॉप हैंड को स्ट्रॉन्ग बना सकते हैं। इससे आप भी बेहतर प्लेयर बनेंगे।
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